- नई दिल्ली: आतंकी संगठन लश्करए-तैयबा ने मुंबई हमलों की आड में इसे 'हिंदू आतंकवाद' की शक्ल देने के लिए खतरनाक साजिश रची थी। इसका खुलासा मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने अपनी किताब में किया है। मीडिया रपटों के मुताबिक मारिया ने अपनी किताब 'Let Me Say It Now' (लेट में से इट नाउ) में 26/11 अटैक को लेकर दावा किया है कि कसाब को मुंबई भेजने से पहले अजमल कसाब की कलाई पर हिंदुओं का पवित्र धागा 'कलावा' बांधा गया और पहचान पत्र (आईडी) में बेंगलुरु निवासी बताते हुए समीर दिनेश चौधरी नाम दिया गया था। इस साजिश में गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम की भी मिलीभगत थी। मारिया के मुताबिक, मुंबई हमले की साजिश 27 सितंबर, 2008 को रची गई थी। उस दिन रोजे का 27वां दिन था।
जब दंग रह गया था कसाब
पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर ने लिखा कि कसाब को पक्का यकीन था कि भारत में मस्जिदों पर ताले जड़ दिए गए हैंऔर यहां मुसलमानों को नमाज पढ़ने की इजाजत नहीं है। जब उसे क्राइम ब्रांच के लॉक-अप में रखा गया, तो ब्रांच के लॉक-अप में रखा गया, तो उसे अजान की आवाज सुनाई देती थी। तब उसे लगता था कि यह सच नहीं, उसके दिमाग की उपज है। मारिया लिखते हैं, जब मुझे यह पता चला तो मैंने महाले (जांचअधिकारी रमेश महाले) को एक गाड़ी में मेट्रो सिनेमा के पास वाली कहा। मारिया कहते हैं कि कसाब गाड़ी में मेट्रो सिनेमा के पास वाली मस्जिद ले जाने को कहा। मारिया कहते हैं कि कसाब ने जब मस्जिद में नमाज पढ़ते लोगों को देखा तो दंग रह गया। मारिया का कहना है कि कसाब को जिंदा रखना उनकी पहली प्राथमिकता थी। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) और लश्कर उसे किसी भी तरह खत्म करना चाहते थे।